GDCC बैंक चुनाव:  पूर्व विधायक राजेंद्र जैन-प्रफ़ुल्ल अग्रवाल में कांटे की टक्कर..

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13 साल से लटका बैंक चुनाव अब भीषण राजनीति में तप रहा..

प्रतिनिधि।
गोंदिया। मतदाताओं के वोटों के आक्षेप पर न्यायालय में पिछले 13 सालों से लटका गोंदिया डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक का चुनाव अब न्यायालय के विशेष आदेश के बाद होने जा रहा है। इस चुनाव के एक दशक से अधिक लंबे अरसे के बाद होने से राजनीति स्थिति चरम पर दिखाई दे रही है।

20 बैंक प्रतिनिधि संचालक मंडल के इस चुनाव में कुल 894 वोट है, जो इस चुनाव में मतदान कर निर्णायक भूमिका निभाएंगे। इस बैंक चुनाव में पूर्व केबिनेट मंत्री, वर्तमान विधायक, और पूर्व विधायक सहित पूर्व संचालक भी मैदान में है।

इस चुनाव को दिलचस्प इसलिए माना जा रहा है क्योंकि ये चुनाव सहकार क्षेत्र का बड़ा चुनाव है। बैंक पर करीब 20 साल से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के पूर्व विधायक राजेन्द्र जैन अध्यक्ष रहे है, और पूर्व विधायक गोपालदास अग्रवाल के नजदीकी राधेलाल पटले उपाध्यक्ष रहे है।

बैंक का चुनाव कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस खेमे के इर्दगिर्द रहा है। पर अब भाजपा ने भी तगड़ी फील्डिंग जमाकर बैंक चुनाव में एंट्री का रास्ता खोल दिया है।

गोंदिया जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक चुनाव में महायुति से शिंदे गुट को बाहर रख एनसीपी-बीजेपी ने 10-10 उम्मीदवार मैदान में उतारे है वही कांग्रेस, परिवर्तन लाने के नाम पर पूरे 20 संचालक पद हेतु चुनाव लड़ रही है।

इनमें रोमांचक मुकाबला पूर्व विधायक गोपालदास अग्रवाल के बेटे प्रफुल्ल अग्रवाल और बैंक के अध्यक्ष रहे पूर्व विधायक राजेन्द्र जैन के बीच होने जा रहा है।

प्रफुल्ल अग्रवाल और राजेंद्र जैन इस बैंक चुनाव में पगारदार व इतर सहकारी संस्था गट से प्रतिनिधि हेतु आमने-सामने है। इस गट में कुल 122 मतदाता है जो जीत और हार का फैसला करेंगे। प्रफुल्ल अग्रवाल कहते है, “हमारी लड़ाई बैंक से एकाधिकार की सत्ता को उखाड़ फेंककर परिवर्तन लाना ही है। हमारे सभी उम्मीदवार दमदारी से मैदान में है।

उन्होंने कहा, ” पिछले अनेक वर्षों से बैंक में कमर्चारियों की भर्ती नही हुई। 30 प्रतिशत कमर्चारियों के भरोसे बैंक चल रही है। बैंक को कभी कर्मशियल दायरे में रखकर नहीं चलाया गया, जिससे बैंक को आर्थिक मजबूती नहीं मिली। इतना ही नही बैंक के सभासदों को 25 सालों में कोई लाभांश नहीं दिया गया जिससे मतदाताओं में इस बार रोष साफ झलक रहा है। हमें उम्मीद है इस बार मतदाता सिस्टम में सुधार हेतु निश्चित ही परिवर्तन लाएगे।

बहरहाल, सहकार विरुद्ध परिवर्तन पैनल की इस राजनीतिक जंग में कौन किस पर भारी पड़ेगा ये तो 29 जून के बाद ही साफ होगा। पर मौजूदा हालात में राजेंद्र जैन और प्रफुल्ल अग्रवाल के बीच चुनाव का मैच काफी रोमांचक और दिलचस्प माना जा रहा है।

ये चुनाव आगामी समय में होने वाले नगर परिषद के चुनाव में राजनीतिक असर पैदा कर सकता है। बैंक चुनाव में हार जीत को वर्चस्व की लड़ाई के रूप में जनता देख रही है।

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